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*यूएनओ को फिर भेजा प्रस्ताव, हरेला को ‘विश्व वृक्ष दिवस’ की मान्यता दिलाके रहेंगे – ग्रीनमैन विजयपाल बघेल*

प्रेस विज्ञप्ति

 

यूएनओ को फिर भेजा प्रस्ताव, हरेला को ‘विश्व वृक्ष दिवस’ की मान्यता दिलाके रहेंगे – ग्रीनमैन विजयपाल बघेल

 

संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा वर्ष के हर को विशेष दिवस के रूप में घोषित किया गया है जिनमें कई तो जरूरी हैं और कई दिवस तो बाजारवाद को बढ़ावा देने के लिए गैर जरुरी रूप में मनाए जाते हैं। साल के 365 दिनों में 700 से अधिक दिन तो विशेष दिवस के रूप में घोषित किए गए हैं जिन्हें दुनिया मनाती हैं। जबकि सबसे ज्यादा आवश्यक तो वृक्ष होते हैं जो हमें ऑक्सीजन देकर जीवन प्रदान करते हैं, पृथ्वी से पेड़ों को विकास के नाम पर अंधाधुंध कटाई करके जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग जैसी गंभीर समस्या से पूरी विश्व जूझ रहा है। उत्तराखंड का लोकपर्व हरेला जो 16 जुलाई को कर्क संक्रान्ति के दिन प्रकृति पर्व के रूप में प्राचीन काल से ही बड़े धूमधाम से मनता आ रहा है इस दिन सूर्यदेव दक्षिणायन होते हैं जो वर्षभर की बड़ी खगोलीय घटना होती है। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा अभी तक वृक्ष दिवस के रूप में किसी तिथि की घोषणा नहीं हो पाई है जबकि ट्री ट्रस्ट ऑफ इंडिया ने विगत वर्ष ही संयुक्त राष्ट्र संघ की साधारण सभा के समक्ष प्रस्ताव प्रेषित किया गया था जो आज तक विचाराधीन है। ‘ग्लोबल ग्रीन पीस मिशन’ के अनुषांगी संगठन “वर्ल्ड ट्री डे नेटवर्क” के माध्यम से पुनः हरेला के दिन यूएनओ के महासचिव को स्मरण याचिका प्रेषित की है ताकि यूएनजीए की आगामी बैठक में प्रस्ताव पर चर्चा हो सके। उक्त जानकारी ‘वर्ल्ड ट्री डे नेटवर्क’ के मुख्य संयोजक ग्रीनमैन विजयपाल बघेल ने दी। उन्होंने बताया कि यूएनओ मुख्यालय को याचिका की स्मरण पत्र के साथ मूलप्रति प्रेषित कर दी गई है।

 

श्री बघेल ने बताया कि वर्ष 1900 से 2020 तक आते आते 60 खरब से घटकर आधे 30 खरब पड़ धरती पर बचे हैं और जनसंख्या डेढ़ अरब से आठ अरब हो गई है, दुनिया में प्रति व्यक्ति पेड़ों का औसत केवल 422 बचा है जबकि पहिले जनसंख्या कम और वृक्ष संपदा ज्यादा होती थी। प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने के लिए पृथ्वी का तिहाई हिस्सा हरित क्षेत्र होना चाहिए जो नहीं है। पेड़ों का कम होना विश्वपटल पर फिर भी चिंता का सबब नहीं बन पा रहा है, वैसे तो प्रत्येक दिन पेड़ों के नाम समर्पित होना चाहिए। विश्व समुदाय हर दिन पेड़ की चिंता तो तब करे जब वर्ष में एक दिन तक तो घोषित कर नहीं पाया। लोकपर्व हरेला 16 जुलाई को मनाया जाता है जब पूरी दुनिया में मानसून अपने चरम पर होता है यानि वृक्ष रोपण और संरक्षण के लिए सबसे अनुकूल समय होता है। इस मौसम में रोपित पौधों का जीवितता प्रतिशत सर्वाधिक पाया जाता है, इसलिए 16 जुलाई विश्व वृक्ष दिवस के रूप में घोषित होना नितांत आवश्यक है। ‘वर्ल्ड ट्री डे नेटवर्क’ एक विशेष अभियान संचालित कर रहा है जिसका लक्ष्य 16 जुलाई को “विश्व वृक्ष दिवस” की मान्यता हासिल कराना है।

 

ग्रीन मैन ऑफ इंडिया ने अभियान की जानकारी देते हुए बताया कि भारत सरकार के माध्यम से संस्तुति भिजवाकर देश में कार्यरत सभी देशों के दूतावासों में सेवारत राजदूतों को प्रस्ताव उनके राष्ट्रध्यक्षों द्वारा अनुमोदन हेतु प्रेषित कर दिए गए हैं तथा विदेशों में भारत के सभी राजदूतों को प्रस्ताव की प्रति इस आशय से भेजी गई ताकि वे वहां से संस्तुति कराकर यूएन मुख्यालय भेजना सुनिश्चित कर सकें। ईमेल के माध्यम से पूरे विश्व के सभी देशों को “विश्व वृक्ष दिवस” के प्रस्ताव पर मत देने हेतु सुग्राही बनाया जा रहा है। यूएनजीए की अगली बैठक में 16 जुलाई को “विश्व वृक्ष दिवस” घोषित करने वाले प्रस्ताव पर अवश्य चर्चा हो ऐसी संभावना बनाई जा रही है।

 

 

रंजीत सिंह

निदेशक, ट्री ट्रस्ट ऑफ इंडिया

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